ईपीएफओ ने वर्ष 2015-16 में 118 लाख दावे निपटाये
वित्त वर्ष 2015-16 की समाप्ति पर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने 118 लाख दावे निपटाये, जिनमें से 39 फीसदी दावों को केवल तीन दिन के अंदर, 79 फीसदी दावों को 10 दिन के भीतर और 96 फीसदी दावों को 20 दिन के अंदर निपटा दिया गया। इस संगठन ने माह के दौरान 22,925 शिकायतों का निपटारा किया और इस तरह 95 फीसदी शिकायतों का निपटारा किया गया, जिससे वित्त वर्ष 2015-16 की समाप्ति पर केवल 1280 शिकायतें ही लम्बित थीं। लम्बित शिकायतों में से 72 फीसदी शिकायतें 7 दिन से भी कम अवधि से लम्बित हैं। वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान कुल मिलाकर 2,21,624 शिकायतों का निपटारा किया गया।
सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने ऐसे सभी बैंकों को प्रतिष्ठान की एक श्रेणी के रूप में ईपीएफ एवं एमपी अधिनियम, 1952 के दायरे में लाने का एक अहम निर्णय लिया जिनमें 20 या उससे ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके तहत उन कर्मचारियों को ध्यान में रखा गया है जो केन्द्र सरकार अथवा राज्य सरकार या बैंकिंग नियम अधिनियम, 1949 के तहत स्थापित संबंधित बैंकों द्वारा तैयार की गई किसी योजना अथवा नियम के अनुसार अंशदायी भविष्य निधि के लाभ या वृद्धावस्था पेंशन प्राप्त करने के हकदार नहीं हैं। इस तरह के सभी बैंकों को 10 फरवरी, 2016 से इस अधिनियम के दायरे में ला दिया गया है।
वित्त वर्ष 2015-16 की समाप्ति पर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने 118 लाख दावे निपटाये, जिनमें से 39 फीसदी दावों को केवल तीन दिन के अंदर, 79 फीसदी दावों को 10 दिन के भीतर और 96 फीसदी दावों को 20 दिन के अंदर निपटा दिया गया। इस संगठन ने माह के दौरान 22,925 शिकायतों का निपटारा किया और इस तरह 95 फीसदी शिकायतों का निपटारा किया गया, जिससे वित्त वर्ष 2015-16 की समाप्ति पर केवल 1280 शिकायतें ही लम्बित थीं। लम्बित शिकायतों में से 72 फीसदी शिकायतें 7 दिन से भी कम अवधि से लम्बित हैं। वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान कुल मिलाकर 2,21,624 शिकायतों का निपटारा किया गया।
सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने ऐसे सभी बैंकों को प्रतिष्ठान की एक श्रेणी के रूप में ईपीएफ एवं एमपी अधिनियम, 1952 के दायरे में लाने का एक अहम निर्णय लिया जिनमें 20 या उससे ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके तहत उन कर्मचारियों को ध्यान में रखा गया है जो केन्द्र सरकार अथवा राज्य सरकार या बैंकिंग नियम अधिनियम, 1949 के तहत स्थापित संबंधित बैंकों द्वारा तैयार की गई किसी योजना अथवा नियम के अनुसार अंशदायी भविष्य निधि के लाभ या वृद्धावस्था पेंशन प्राप्त करने के हकदार नहीं हैं। इस तरह के सभी बैंकों को 10 फरवरी, 2016 से इस अधिनियम के दायरे में ला दिया गया है।